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सफल और असफल व्यक्ति में अंतर

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जीवन मे कुछ विशेष करने और बड़ी सफलता प्राप्त करने वाले लोगो का प्रतिशत बहुत कम है।  क्योंकि बहुत कम लोग ही ऐसे हैं  जो जीवन मे एकाग्र हैं सही चीज़ों का चुनाव कर सकते हैं।  और  गलत चीजें भले ही बड़ा आकर्षण लिए हो उसे छोड़ कर आगे बढ़ सकते हैं।  यही कारण है कि फालतू की चीज़ें बड़ी जल्दी प्रसिद्ध हो जाती हैं                और जो महत्वपूर्ण है सही है , आवश्यक है उसका प्रचार बड़ा धीरे धीरे होता है।  लेकिन अगर जीवन में  कुछ बेहतर करना है तो इस प्रवर्ति को बदलना होगा।  जनसमुदाय में योग,  स्वास्थ्य और जीवन के मूल्यवान सिद्धांतो के प्रति जाग्रति के लिए हमने youtube channel    *YOGI VARUNANAND*    का निर्माण किया है  यदि आप भी जी वन के प्रति और स्वयम के स्वास्थ्य के प्रति सजग हैं तो इस channel को subscribe करें।  https://www.youtube.com/channel/UCxCpm9xOqNDtlGkwUWBQlPA #YOGI VARUNANAND

हठयोग

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हठमार्ग में ऊर्जा का उर्धगमं करना ही उसकी सार्थकता है। सामान्यत हमारी जो ऊर्जा मूलाधार में लगी होती है  योग की विशेष क्रियाओं (विपरीतकर्णी आदि) द्वारा उसे ऊपर उठाने का अभ्यास करना चाहिए। मूलाधार में ऊर्जा का होना अर्थात भोग प्रवृत्ति का होना।  निरन्तरता के साथ मूलाधार पर ध्यान लगा कर इसे उर्जित कर देने पर स्थिति बदलने लगती है ओर साधक में - वीरया निर्भयता , जागरूकता, जैसे गुण आने लगते हैं जो कि आगे की साधना के लिए आवश्यक हैं।  इसी प्रकार जब साधक ह्रदय प्रदेश में स्थित अनाहद चक्र तक पहुंचता है तो यहां से आध्यात्म का प्रकाश और चित्त के स्वरूप का ज्ञान होने लगता है।  और यह बोध हो जाता है के पुरुष (आत्मा) और बुद्धि सर्वथा भिन्न हैं। इसे ही *आध्यात्मप्रकाश* कहा जाता है। यह आत्मा का प्रकाश बुद्धि को प्रकाशित कर के साधक को आगे की अवस्थाओं तक पहुचने के योग्य बनाता है।  इसप्रकार साधना करता हुआ साधक परम गति तक पहुंचता है।