शुद्धता और आधुनिकता (YOG_SADAN)

समय के अनुसार परिस्थितियां बदलती हैं। 
जिसके कारण आवश्यकताएं भी भिन्न भिन्न हो जाती हैं। 
उन्हीं आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए व्यक्ति आधुनिकता की और बढ़ता है। 
जो कि आवश्यक भी हैं। 
लेकिन इन आवश्यकताओं के अनुसार विकसित किये गए सिद्धांतों और वस्तुओं का अर्थ यह नहीं होता कि हम पूर्व वर्णित वस्तुओं और नीतियों के महत्व को मानना बंद कर दें।
बल्कि आधुनिकता का अर्थ होना चाहिए कि हमारे पास जो है। 
हम उसे ओर अधिक विकसित करें नईं चीज़ों को सहायक के रूप में देखें। 
किन्तु जो हमारे पास है उसके स्वरूप को भी न बिगड़ने दें।

जिस प्रकार - एक जोहरी सोने को नईं नईं आकृति देता है।
जिस से उस सोने से नए नए आभूषण बनते हैं। 

इसमे कोई आपत्ति नहीं है लेकिन यदि वह उस सोने में कोई अन्य धातु मिला दे , तो उस स्थिति में वहां विकृति आजाती है फिर उसके द्वारा किया गया कार्य पूर्णतया अनुचित हो जाता है 
कहने का आशय यही है 
के आवश्यकता अनुसार स्वयम को विकसित करना उचित है किंतु शुद्धता पर प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए।

#YOG_SADAN

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